केतु अपने भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य, धन-संपदा व पशु-संपदा दिलाता है। मनुष्य के शरीर में केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष गणनाओं के लिए केतु को कुछ ज्योतिषी तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानते हैं जबकि कुछ अन्य इसे नर ग्रह मानते हैं।केतु ग्रह को छाया गढ़ कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु ग्रह का स्वभाव मंगल ग्रह से मिलता जुलता है. केतु ग्रह की क्रियाएं तांत्रिक हैं. इस लिए ये अन्य ग्रहों की तुलना में सर्वाधिक रहस्यवादी हैं. केतु गृह की प्रकृति में अचानक उन्नति या अवनति, मान, अपमान, दुर्घटना, पदच्युति, घबडाहट, उलझन, आर्थिक तंगी और उत्साहहीन करना है.ज्योतिष शास्त्र में इन्हें क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. इस लिए केतु ग्रह का नाम लेते ही व्यक्तियों के अन्दर एक भय छा जाता है. ज्योतिष विदों के अनुसार केतु ग्रह केवल अशुभ फल ही नहीं देते हैं बल्कि शुभ परिणाम भी देते हैं.
ज्योतिष में केतु का अर्थ ऊंचाई बताया गया है. जन्म कुंडली में केतु अगर किसी अच्छे ग्रह के साथ उच्च स्थान पर बैठा होता है. तो यह ग्रह जीवन में सर्वश्रेष्ठ फल देता है. मंगल की तरह केतु ग्रह भी साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है. केतु ग्रह व्यक्ति के जीवन में यदि बहुत कुछ देते है तो वे उनसे ले भी लेते हैं.
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