Saraswati Puja

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ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा तब से उस देवी ने वीणा के मधुर-नाद से सब जीवों को वाणी प्रदान की। इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है। इसलिए जो व्यक्ति मां सरस्वती की पूजा निष्ठा पूर्वक करता है उसे बुद्धि व विद्या की प्राप्ति होती है।वसंत पंचमी के दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और पीले वस्त्र पहनते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सरस्वती को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है, इसलिए वसंत पंचमी को पीले रंग की वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. वसंत पंचमी के दिन से ही ऋतुराज वसंत का आगमन माना जाता है, पृथ्वी पर चारों ओर सरसों के पीले फूल खिले होते हैं, ऐसा लगता है मानों धरती ने पीली चारद ओढ़ रखी हो. पेड़ों पर नई कोपलें आने लगती हैं, प्रकृति में जैसे नए जीवन का संचार होता है. पीले रंग को समृद्धि एवं संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है.

मां सरस्वती की कृपा से ही जीवों को स्वर प्राप्त हुआ, उन्हें वाणी मिली. सभी बोलने लगे. सबसे पहले मां सरस्वती के वीणा से ही संगीत के प्रथम स्वर निकले. वीणावादिनी मां सरस्वती कमल पर आसिन होकर हाथों में पुस्तक लेकर प्रकट हुई थीं. इस वजह से मां सरस्वती को ज्ञान एवं वाणी की देवी कहा जाता है!

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